गुरुग्राम निगम में शहरी निकाय स्वामित्व योजनाओं में हुए भ्रष्टाचार । आवेदन 1 प्रॉपर्टी 2-3 बेचीं गई, किस्त 2
सत्य ख़बर, गुरुग्राम, सतीश भारद्वाज :
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने व्यापारियों को एक नायाब तोहफा देते हुए शहरी निकाय स्वामित्व योजना लागू की थी। जिसमें इस योजना के तहत अधिकारियों ने भ्रष्टाचार के चलते सड़कों पर अवैध कब्जे बरकरार रखते हुए दरखास्तों को मंजूरी देते हुए कन्वेंस डिड करवा दी। वहीं दूसरी तरफ जो दुकाने सरकारी जमीन पर अवैध कब्जों की हद से भी कई कई फुट पीछे है, उन्हें नजराना ना मिलने के कारण आजतक लटका कर रखा हुआ है । शहर में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि सदर बाजार एरिया जो प्रोविंशियल गवर्नमेंट लैंड है उसकी मलकियत नगर निगम के नाम करवाने की फाइल ही निगम कार्यालय से गायब है, जिसकी खानापूर्ति के लिए पुलिस में FIR एफआईआर भी दर्ज कराई हुई है। नगर निगम राजस्व रिकॉर्ड में केवल 4-14-0 पर काबिज है, जिसकी भी जांच जिला राजस्व अधिकारी की अध्यक्षता में गठित कमेटी कर रही है जिन लोगों को प्रोविंशियल गवर्नमेंट लैंड में कन्वेंस डिड करवाई गई है,उनके नाम राजस्व रिकॉर्ड में भी दर्ज नहीं हो रहे हैं । वहीं ट्रक मार्केट की एक ऐसी एप्लीकेशन को अधिकारियों ने भ्रष्टाचार के चलते मंजूरी दी गई जिस पर इकरारनामे जाली लगे हुए थे, इकरारनामे पर गवाह और नोटरी के तो साइन हैं परंतु इकरार करने वाली दोनों ही पार्टियों के दस्तखत मौजूद नहीं है और ऐसे व्यक्तियों को एक ही एप्लीकेशन पर दो-दो प्रॉपर्टी बेच दी गई है, जबकि प्रॉपर्टी ट्रांसफर फीस दो प्रॉपर्टी की ₹60000 ली गई जिससे स्पष्ट है, दोनों प्रॉपर्टी अलग-अलग थी तथा अलग-अलग व्यक्तियों के नाम मैं आलोट थी, उनकी किराया रसीद भी अलग-अलग थी । नगर निगम के अपने रिकॉर्ड में जब सब कुछ अलग-अलग था तो प्रॉपर्टी की आईडी भी अलग-अलग ही दर्ज होनी थी। वहीं एक अन्य व्यक्ति को एक ही एप्लीकेशन पर तीन अलग-अलग प्रॉपर्टीयां बेच दी गई है। ऐसी कई दरखास्त हैं जिन पर एक ही दरखास्त पर कई अलग-अलग प्रॉपर्टीयां बेची गई। अब यहां सवाल यह खड़ा होता है कि आखिर निगम अधिकारियों ने अधूरे दस्तावेज होते हुए भी किसके दबाव में भ्रष्टाचार के कारण इस योजना में जमकर गोलमोल किया है।